Corona Virus से पीड़ित मरीजों के इलाज में हो रहा रहा है HIV की दवा का इस्तेमाल

 Corona Virus से पीड़ित मरीजों के इलाज में हो रहा रहा है HIV की दवा का इस्तेमाल

सेहतराग टीम

चीन में वैज्ञानिक जानलेवा करॉना वायरस के खिलाफ टीका विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। इस बीच रविवार को इस खतरनाक वायरस से अकेले चीन में मरने वालों की तादाद 56 के पार पहुंच गई है और हजारों लोग इस बीमारी से संक्रमित हो गए हैं। वहीं सार्स जैसे विषाणुओं से संक्रमित होने वालों की संख्या भी 3 हजार पहुंच गई है। इन सबके बीच एक नई बात सामने आ रही है। चूंकि फिलहाल इस बीमारी का कोई इलाज खोजा नहीं जा सका है इसलिए चीन अनौपचारिक तौर पर HIV के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा AbbVie Inc का इस्तेमाल कर रहा है ताकि जब तक करॉना वायरस से होने वाली निमोनिया जैसी बीमारी का दुनियाभर में कोई स्थायी और सही इलाज नहीं खोजा जा सका है तब तक के लिए मरीजों का इलाज किया जा सके।

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फिलहाल कोई असरदार ऐंटी-वायरल दवा नहीं है-

चीन के नैशनल हेल्थ कमिशन NHC के पेइचिंग ब्रांच का कहना है कि लोपिनेविर और रिटोनेविर के कॉम्बिनेशन की दवा जिसे AbbVie के जरिए कैलेट्रा के ब्रैंड नेम से बेचा जा रहा है, फिलहाल उसी का इस्तेमाल किया जा रहा है करॉना वायरस से पीड़ित मरीजों का इलाज करने के लिए। NHC की मानें तो अब तक कोई बेहद कारगर या असरदार ऐंटी-वायरल दवा विकसित नहीं की गई है और इसी वजह से करॉना वायरस से होने वाली निमोनिया जैसी बीमारी से पीड़ित मरीजों को लोपिनेविर और रिटोनेविर की 2 टैबलेट्स दिन में 2 बार और अल्फा-इंटरफेरॉन की 1 डोज नेब्यूलाइजेशन के जरिए दिन में 2 बार दी जा रही है।

नई वैक्सीन विकसित करने की कोशिश में जुटे वैज्ञानिक-

मेडिकल जर्नल लैनसेट के मुताबिक लोपिनेविर और रिटोनेविर का इस्तेमाल कर एक क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है जिसके जरिए करॉना वायरस के नई केसेज का इलाज करने की कोशिश की जा रही है। इसके साथ-साथ चीन के सेंटर फॉर डिजीज कंटोल ऐंड प्रिवेंशन ने करॉना वायरस से निपटने के लिए एक नई वैक्सीन का निर्माण भी शुरू कर दिया है और ऐसा बताया जा रहा है कि 3 महीने के अंदर इसका ह्यूमन ट्रायल भी शुरू हो जाएगा। डॉक्टरों की मानें तो HIV के इलाज में इस्तेमाल होने वाली ये दवा, करॉना वायरस से पीड़ित मरीजों पर भी काम कर रही है।

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वायरस से संक्रमित लोगों में तुरंत नहीं दिखते लक्षण-

NHC ने रविवार को बताया कि नया करॉना वायरस इनक्युबेशन काल (अंडे सेने का समय) जो 14 दिनों का होता है और संक्रमण फैला सकता है और इस प्रकार विषाणु के संक्रमण फैलाने की क्षमता मजबूत हो रही है। सार्स SARS (सीवियर अक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) की तरह करॉना वायरस भी इंक्यूबेशन काल में संक्रमण फैलाने की क्षमता रखता है। साथ ही साथ इस वायरस से संक्रमित लोगों में तुरंत लक्षण सामने नहीं आते हैं।

(साभार- नवभारत टाइम्स)

 

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